तुम किसी
की सहायता नहीं कर सकते, तुम्हे केवल सेवा का अधिकार है- प्रभु की संतान का
! भाग्यवान हो तो स्वयं प्रभु की सेवा करो ! यदि ईश्वर के अनुग्रह से उसकी किसी संतान
की सेवा कर सकोगे, तो तुम धन्य हो क्योंकि सेवा करने का तुमको अधिकार
मिला है और दूसरों को नहीं मिला ! यह सेवा तुम्हारे लिए सम्मान के तुल्य है ! -स्वामी विवेकानंद
"किसी
व्यक्ति को खाना देंगे तो उसका एक दिन के लिए पेट भरेगा लेकिन उसे यदि तालीम देंगे
या कोई काम करना सीखा देंगे तो उसका जिंदगी भर पेट भरेगा ! "
हमारे देश ने सैंकड़ों सालों तक विदेशी आक्रमण का
दंश झेला है पर इसके बाबजूद हमारा समाज और राष्ट्र जीवन आज भी बचा हुआ है तो इसके पीछे
की सबसे बड़ी वजह हमारा सर्वसमावेशी चिंतन
और वसुधैव कुटुंबकम का भाव रहा है और जो समाज के हर वर्ग
और समुदाय की हित-चिंता करता रहा है, उनके सुख-दुःख में शामिल रहा है ! हमारा समाज
जीवन प्राचीन समय से ही धर्म यानि कर्तव्य , कर्तव्य यानि सेवा भावना से युक्त रहा है ! मातृधर्म,
पितृधर्म, परिवारधर्म,
पडोसीधर्म, समाजधर्म और राष्ट्रधर्म
हमारे चिंतन का अभिन्न अंग था पर आज दुर्भाग्यवश हमारी चिंतन और सोच पाश्चात्य चिंतन में ढ़ल गई है जो मनुष्य को
अर्थकामी, स्वार्थी और कामार्थी
बनता है !
"अपने
लिए सोचना, अपने
लिए जीना और अपने लिए ज्यादा से ज्यादा धन और सुख-सुविधाएँ हासिल हर लेना" आज के दौर में हर इंसान
का यही मकसद रह गया है ! मैं और मेरा परिवार
इससे इतर सोचने के लिए किसी के पास भी आज वक़्त नहीं है !
समाज जीवन को लेकर चलने वाले हमारे संस्कारों
का लोप हुआ तो हमारा समाज कई तरह की समस्याओं से घिर गया ! मतांतरण, नक्सलवाद, जातियों की बीच परस्पर
घृणा और नफरत तथा इन सबके परिणाम स्वरुप जन्मी कुटिल राजनीति हमारे राष्ट्र के ऊपर
काली छाया बनकर मंडरा रही है !
हम पद, रुतबे, प्रतिष्ठा
में बड़े होने के साथ-2 कर्तव्यपालन , समरसता, परस्पर सहयोग
और समाज के वंचित,वनवासी और पिछड़े तबके के विकास में भी अग्रणी बनें
इस भाव को जगाना आवश्यक है ! सबके लिए जीना, सबका सम्मान करना और सबके उन्नति के लिए सहयोग
करना यह हमारी संस्कृति है ! रामायण पर अगर नज़र डालें तो वहाँ लक्ष्मण का त्याग अद्भुत
है ! दशरथ ने उन्हें वन जाने की आज्ञा नहीं दी थी पर अपने भाई के लिए उन्होंने वनवास
को स्वीकार किया और अपनी नव विवाहिता पत्नी और
माँ का विरह स्वीकार किया,
14 साल तक अविचलित रह
कर प्रभु राम की सेवा की ! उनकी कृति किसी भी मायने में प्रभु राम से कमतर नहीं है पर दुनिया "श्री राम जय राम जय जय राम कहती है" , "श्री लक्ष्मण जय लक्ष्मण
जय जय लक्ष्मण" नहीं कहती ! इसकी एकमात्र वजह यही है की श्रीराम ने शबरी
के झूठे बेर खाये थे और लक्ष्मण ने उसे फ़ेंक दिया था ! प्रभु राम की करुणा दलित, वंचित, वनवासी यहाँ तक की पशु-पक्षी सबके लिए थी जिसने श्री राम के नाम को अमर कर दिया
!
अपने समाज
के वंचित, दलित, पिछड़े और वनवासी बंधुओं के लिए कुछ करना हमारा कर्तव्य
है क्योंकि भारत माता की संतान होने की नाते हम सब सहोदर है !
हम सब एक विशाल परिवार
के सदस्य हैं, इनका सुख हमारा सुख और इनका दुःख हमारा दुःख है ऐसी भावना रखते
हुए "सेवा और सहयोग" हमारा स्वभाव बने !
पर आज हम जिस भागदौड़ की जिंदगी में हैं ,
उसमे हमारे पास वक़्त
छोड़ के सबकुछ है, इसलिए चाहते हुए भी हम समाज को कुछ नहीं दे सकते और बहुत कोशिश कर वक़्त निकाल
भी लें तो भी अकेले कुछ नहीं कर सकते ! इस लिए जरूरी है की कई हाथ एक साथ जुड़े और अपनी आमदनी का बेहद
छोटा हिस्सा देकर इस गौरवशाली मुहिम का हिस्सा बनें ! आपका बहुत छोटा सा अंशदान कई
होठों को मुस्कान और कई हाथ को काम दे सकता है ! ऐसी भावना रखते हुए इस मुहिम का हिस्सा बने
!
"आपका बहुत
छोटा सा सहयोग कई जिंदगियां संवार सकता हैं ! "
कार्य योजना के क्षेत्र-
1 . शिक्षा
2 . स्वच्छता
एवम् पर्यावरण संरक्षण
3. स्वास्थ्य
4. स्वाबलम्बन
(कृषि / व्यवसाय)
5 . सामाजिक
समरसता
हमारे कार्य का पहला चरण शिक्षा पर केंद्रित
रखेगा ! प्रतिभा किसी बड़े घर, बड़े परिवार या बड़े शहर की मोहताज़ नहीं होती ! प्रतिभा वंचित,
दलित और वनवासियों
में भी हो सकती है पर अर्थाभाव और सही मार्गदर्शन उनके राह की सबसे बड़ी बाधा होती है
! इन बच्चों को सही मार्गदर्शन और शिक्षा न मिले तो ये आगे जाकर नक्सली, माओवादी और अपराधी बनकर पूरे समाज और
देश के लिए सरदर्द बन जाते हैं जिसका खामियाजा सबको भुगतना पड़ता हैं !
इस हेतू दो तरह के कार्य किये जा सकते हैं:-
1. व्यक्तिसह उत्थान
2. आदर्श ग्राम की योजना
(शिक्षा के क्षेत्र में)'
1 . व्यक्तिसह
उत्थान:-
इसके तहत इस मुहिम से जुड़ने वाले अपने क्षेत्र/
इलाके से किसी ऐसे मेघावी छात्र का चयन कर उसका विवरण "लाभार्थी चयन समिति"
के पास भेजेंगे जो अर्थाभाव में अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पा रहा है ! सामान्यतया लाभार्थी
लड़की हो तो बेहतर है क्यूंकि एक शिक्षित और संस्कारित माँ पूरे परिवार को साक्षर
और संस्कारित कर सकती हैं !
इसी चरण में किसी वंचित बस्ती को चयनित कर
वहाँ एकल-विद्यालय/कोचिंग सेंटर की योजना भी
चलाई जा सकती है जहाँ शिक्षक की भूमिका उसी इलाके के किसी शिक्षित और संस्कारित बेरोजगार
युवक निभाये ! इस योजना से सेवा कार्य के दो कार्य हो जायेंगे ! इस कार्य (शिक्षा दान)
हेतू उसे एक तय मासिक आर्थिक सहायता दी जायेगी जिससे उसकी आर्थिक मदद भी हो सकेगी
!
आदर्श ग्राम
की योजना (शिक्षा के क्षेत्र में)'
आदर्श ग्राम योजना प्रत्येक गाँव
को परम्परागत पहचान युक्त आधुनिक गाँव
बनाने की संकल्पना है | इस योजना के तहत हम एक ऐसे गाँव, बस्ती या टोला को गोद लेंगे जिसकी आबादी सौ
परिवारों की है। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से वहाँ साक्षरता अभियान चलाया जा
सकता है !
ग्रामीण छात्र-छात्राओं कों
सम्मानित करने की व्यवस्था
हमारे सहयोग से पढ़ने वाले छात्र अगर अपने
क्षेत्र में सफलता पाते हैं तो वर्ष में एक बार उनका सम्मान और उपहार देने का कार्यक्रम
जिससे उनका हौसला बना रहे और उत्साहवर्धन हो !
कार्य योजना के बाकी
क्षेत्रों पर इसी तरह विचार कर योजना बनाई जा सकती है !
सांगठनिक स्वरुप-
यधपि हमारी यह कोशिश वंचित वर्गों के उत्थान
व उनके विकास के लिये है तथापि इसके क्रियान्वयन के लिये तथा सुचारु रुप से चलाने के
लिये इसे एक सांगठनिक स्वरुप देना आवश्यक है। समिति की रचना निम्नवत होगी।
1 संयोजक (Convener)- 1
2 नीति-निर्धारण सह योजना विस्तार समिति- अधिकतम
5 तथा न्यूनतम 3 सदस्य
3 क्रियान्वयन सह लाभार्थी चयन समिति- अधिकतम
5 तथा न्यूनतम 3 सदस्य
4 अर्थ समिति- अधिकतम 3 तथा न्यूनतम 3 सदस्य
5 आयोजन समिति- अधिकतम 5 तथा न्यूनतम 2 सदस्य
6 समीक्षा समिति- 3 सदस्य न्यूनतम 2 सदस्य
समिति के
कार्य-
1 नीति-निर्धारण सह योजना विस्तार समिति
यह समिति कार्य योजना का स्वरुप तय करेगी और
इस मुहिम से जुड़ने वालों की संख्या कैसे बढ़ाई जाये इसके लिए भी प्रयास करेगी ! सांगठनिक योजना से जुड़े नियम नीति, विचार तथा स्वरुप तय करना इसके
जिम्मे होगा तथा कार्य योजना के क्षेत्र के बिषयों की समीक्षा तथा परिवर्तन आदि विषयों
पर यह समिति निर्णय लेगी !
2. क्रियान्वयन
सह लाभार्थी चयन समिति
नीति निर्धारण सह योजना विकास समिति द्वारा
तय प्रारूप का क्रियान्वयन कैसे हो अर्थात लाभार्थी तक राशि/सुविधा वितरण का माध्यम
और तरीका क्या हो इसका विचार यह समिति करेगी ! अर्थ विभाग किनके जिम्मे हो यह
तय करना भी इनकी जिम्मेदारी होगी ! प्राप्त राशि का वितरण कैसे और किनमें हो यह भी
इसी विभाग के तहत आएगा ! अर्थ समिति के साथ ये विभाग सीधे संपर्क में रहेगी और उसके
माध्यम से योजनाओं का क्रियान्वयन करेगी !
3. अर्थ समिति-
क्रियान्वयन सह लाभार्थी चयन समिति द्वारा चयनित
लभार्थिओं के बीच सहयोग राशि पहुँचाना इस समिति के जिम्मे रहेगी ! खाता Maintain करना तथा उसके मद का
विवरण सभी सदस्यों तक प्रेषित करना भी इन्ही
का काम होगा !
4. समन्वय
समिति
यह समूह के सभी सदस्यों के बीच समन्वय सेतु
का काम करेगी ! सदस्यों से संपर्क बनाये रखना तथा सोशल मीडिया अथवा तकनीकी साधनों का
इस्तेमाल उनसे जुड़ाव रखना भी इनके जिम्मे होगा ! सभी सदस्यों का रिकॉर्ड तथा संपर्क
सूत्र रखना इनका काम रहेगा !
5. आयोजन
सह वृत-निवेदन समिति-
यह समिति विभिन्न जगहों पर होने वाले कार्यक्रमों
तथा गतिविधियों (मसलन शिक्षा, स्वास्थ्य, पुरस्कार वितरण) की रूप-रेखा तय करेगी तथा उसका विवरण सदस्यों
को प्रेषित करेगी !
6. समीक्षा
समिति- इसका कार्य हर दो महीने पर पिछले दो महीने में हुए कार्यों
की समीक्षा कर (जो उसे आयोजन सह वृतनिवेदन समिति से प्राप्त होगी) करेगी और अपनी रिपोर्ट
नीति निर्धारण समिति को सौंपेगी ! जिसपर नीति निर्धारण
सह योजना विस्तार समिति विचार करेगी !
अगर आपको लगता है की आप इस गौरवशाली मुहिम से
जुड़ कर अपने वंचित, पिछड़े और वनवासी वर्ग की सेवा कर सकते हैं तो
हमारे साथ आइये ! अपना बायोडाटा हमें प्रेषित करें !
उपरोक्त प्रस्ताव पर अगर आपका कोई सुझाव है
तो उसे भी प्रेषित करें तथा इन बिंदुओं पर भी अपने सुझाव इस मेल प्राप्ति के तुरंत
बाद प्रेषित करें:-
1. मासिक सहयोग राशि कितनी
रहनी चाहिए?
2. इस मुहिम में आपकी भूमिका
किस तरह की हो सकती है, उपरोक्त सांगठनिक ढांचे
में आप किस कार्य/पद हेतू खुद को उपयुक्त समझते हैं?
3. इस संगठन के खाते को कैसे ऑपरेट किया जाये?
4. संगठन को रजिस्टर्ड करवाया जाये अथवा नहीं
?
5. संगठन अथवा इस मुहिम का नाम क्या रखा जाये?
सामान्य नियम, अपेक्षाएं
एवम् शर्तें-
*
सभी
सदस्य हर महीने की 1 से 5 तारीख के मध्य सहयोग राशि जमा करेंगे !
*
एकमुश्त
राशि सामान्यतया स्वीकार नहीं किये जायेंगे ! क्यूंकि हमारा उद्देश्य इस पुनीत कार्य
से आपको जोड़े रखना है !
*
हर सदस्य
ये कोशिश करेगा कि अपने मित्र तथा परिचित को इस मुहिम से जोड़े !
*
हमारी
कोशिश रहेगी की सदस्यों का बर्ष में कम से कम एक बार साथ बैठना हो सके !
*
राशि
का वृहद् संग्रह विवाद को जन्म देती है अतः राशि का पूर्णतया उपयोग हो सके ऐसी व्यवस्था हो !
*
आर्थिक
पारदर्शिता हर हाल में हो !
*
सरकार/NGO/नेता अथवा किसी राजनीतिक
संस्था से किसी तरह का सहयोग नहीं लेना है !
*
इस पुनीत
कार्य की प्रसिद्धि लोगों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए हो न की इसे आत्मप्रशंसा का
माध्यम समझा जाये !
*
हमारी
भूमिका सिर्फ दाता की नहीं हो !
*
सेवा
निःस्वार्थ भाव से कर्तव्य भाव से पूजा भाव से सेवा भाव से समाज के
शोषित/पीड़ित/वंचित समाज की उन्नति/प्रगति और विकास तथा सामाजिक परिवर्तन हेतू किया
हुआ कार्य है ! यह ध्यान में रहनी चाहिए !
हमारा उद्देश्य-
सेवा भाव से समाज में जागरण तथा परिवर्तन एवं
संपन्न व शिक्षित समाज का अहम् भाव और पिछड़े तथा निर्धन समाज के मन का छोटापन दूर करना
है !
हमारी योजना इस मुहिम को आगामी मास यानि हिन्दू
नव वर्ष की पहली तिथि से आरम्भ करने की है इसलिए यथाशीघ्र अपना सुझाव सहमति और भूमिका के साथ
सूचित करें !