ये मेरी वो रचनाएँ है जो मैंने B .sc (पार्ट II) के दौरान लिखी थी , आज ब्लॉग पे डाल रहा हूँ !
खुदा का बंटवारा भी कितना अजीब है
किसे क्या मिला , ये अपना नसीब है !
शायद अपने मकाम को पहुँच गयी है मोहब्बत
कोई पास नहीं मेरे जब से वो करीब है !!
जब मोहब्बत की है तो निभानी तो पड़ेगी
थोड़ी देर हमारे ख़ाबों में आनी तो पड़ेगी !
जब यार को ही हमने रब मान लिया है
उसका नाम आये, जबीं झुकनी तो पड़ेगी!
वो याद करती है हमें तभी तो भुलाती है
शायद वो इसलिए रोज मेरे खाबों में आती है !
यूं ही नहीं लड्खराते हैं उनकी अंजुमन में हम
यकीनन अपनी निगाहों से वो मय पिलाती है !!
माजी के पन्नो को जब पलटने को जाओगे
हर लम्हा , हर सिम्त बस मुझे ही पाओगे !
फिर याद आयेंगे तुम्हे मेरी वफाओं के खुतूत
यकीनन हमारे पास फिर तुम लौट आओगे !
किसी के दिल में बसने का ये अच्छा बहाना है
तुम रूठे हो , मुझे तुमको मानना है
मैं जानता हूँ किस लिए लोग मुझे भाव दे रहे हैं
चाँद से मेरी दोस्ती है, सितारों पे आना-जाना है !
"अभिजीत "
......................................................................................................................
No comments:
Post a Comment