वेद के बारे में विद्धानों का ये कथन है। वेदो अखिलो ज्ञानमूलम अर्थात् वेद सभी ज्ञान का मूल है ! इसी तरह कुरान की एक आयत में आता है कि ‘यह अगले लोगों की किताबों में भी है।
मतलब यह है कि दुनिया में जितने भी धर्म या संप्रदाय है उन सब में उपरी तौर पर भले ही मतभेद व विरोधाभास दिखतें हो पर उनके ग्रंथों में मूल भावना एक ही है। इतना ही नहीं इन ग्रंथो को अगर पक्षपात रहित होकर पढ़ा जाये तो उनके बीच की समानताएं भी हतप्रभ कर देने वालीं है ! कई बार तो लगता है की कोई भेद है ही नहीं ! मैने हिंदुत्व ] इस्लाम और ईसाई मत इसी तीनो ही का अध्ययन किया है और इस अध्ययन क्रम में वेद] इंजील और कुरान में एक विचित्र समानता देखने को मिली जिसे अपने ब्लॉग के माध्यम से इसे आप सब के साथ बाँटने की ये एक छोटी कोशिश है ! आपकी प्रतिक्रियाएं हमारा उत्साह बढाती है -
हिन्दू ग्रन्थ ऋगवेद के एक मंत्र में आता है -
उतत्वः पष्यन्नः ददर्ष वाचमुत त्वः श्रृण्वन्नः श्रृणोत्येनाम्। उतो त्वस्मै तन्वं विसस्त्रे जायेव पत्य उषतो सुवासाः । (ऋग्वेद ] १०-७१-4
अर्थात् जो अविद्धान हैं वो सुनते हुये भी नहीं सुनते , देखते हुये भी नहीं देखते और बोलते हुये भी नहीं बोलते।
मुस्लिम धर्मग्रंथ कुरान शरीफ की एक आयत है जिसमे ये कहा गया गया है -
और निश्चय ही हमने बहुत सारे जिन्नों को व मनुष्यों को जहन्नम ही के लिये फैला रखा है। उनके पास दिल है पर वो उससे समझते नहीं तथा उनके पास आंखें हैं पर वो उससे देखते नहीं और उनके पास कान है पर वो उससे सुनते नहीं। वो पषुओं की तरह हैं, बल्कि ये उससे भी ज्यादा गुमराह हैं। यही लोग हैं जो अचेतावस्था में पड़े हुयें हैं। "पवित्र कुरान" ७%१७९
If you read its urdu & Arabic translation, it is said -
(179) اور ہم نے دوزخ کے لیے بہت سے جن اور آدمی پیدا کیے ہیں ان کے دل ہیں کہ ان سے سمجھتے نہیں اور آنکھیں ہیں کہ ان سے دیکھتے نہیں اور کان ہیں کہ ان سے سنتے نہیں وہ ایسے ہیں جیسے چوپائے بلکہ ان سے بھی گمراہی میں زیادہ ہیں یہی لوگ غافل ہیں |
(179) وَلَقَدْ ذَرَأْنَا لِجَهَنَّمَ كَثِيرًا مِّنَ الْجِنِّ وَالإِنسِ لَهُمْ قُلُوبٌ لاَّ يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لاَّ يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ آذَانٌ لاَّ يَسْمَعُونَ بِهَا أُوْلَئِكَ كَالأَنْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ أُوْلَئِكَ هُمُ الْغَافِلُونَ
you read the English translation of this ayat in Quran , it saya
"Many are the Jinns and man we have made for hell,They have hearth wherewith they understand not, eyes wherewith they see not , and ears wherewith they hear not , they are like cattle , may more misguided, for they are heedless (of warning) (Quran, 7:179)
Same thing is mentioned in New Testament (Bible) not less than 3 times @ diffirent places , you see-
1. They may look and look yet not see, they may listen and listen , yet not understand, for if they did , they would turn to God, and he would forgive them . (Gospel of Mark, 4:12)
2. God has blinded their eyes and closed their minds so that their eyes would not see, and their minds would not understand, and they would not turn to me, says God, for me to heal them. (Gospel of John. 12:40)
3. This people will listen and listen but not understand, they will look & look but not see ,because their minds are dull and they have stopped up their ears and closed their eyes,Otherwise their eyes would see, their ears would hear, their minds would understand and they would have turn to me, Says God and I would heal them.
(Gospel of Matthew, 13:15)
ABHIJEET
lagta hai deep study ho raha hai !!!! :)
ReplyDeleteKeep going !!!!!!!!!!!!!!!!!!