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Sunday, June 5, 2011

कौन बेबकूफ कहता है ज्योतिष विज्ञान नहीं है !!

दिल्ली से प्रकाशित ज्योतिष पत्रिका "Future Samachar के जून २००८ अंक में "प्रश्न जन्मपत्री -138" के तहत  एक किसी अनजान महिला के कुंडली के आधार पर एक सवाल पूछा गया था , जिसका सही जबाब मैंने दिया था ! ब्लॉग में इसे डालने का सिर्फ एक ही मकसद है उन लोगों को जिनको ये भ्रम है की ज्योतिष विज्ञान नहीं है , का भ्रम दूर करना !
ये है सवाल में पूछी गयी जातिका की जन्मपत्रिका -
ये उस जातिका की कुंडली की ग्रह स्थिति  है- इस जातिका का जन्म १२/०६/१९८२ में मुंबई में हुआ था! कुंडली मिथुन लग्न की है -लग्न में राहू, चौथे  भाव में मंगल तथा राहू , पंचम में गुरु , सप्तम में केतु, आठवे में चन्द्र , एकादश में शुक्र तथा बारहवे में बुध तथा सूर्य बैठा है !

पत्रिका में पूछा गया सवाल था -         इस जातिका के प्रेम और विवाह संबंधों के बारे में बताएं?

मैंने इसमें अपना जबाब भेजा था जी सही पाए जाने पर "Future Point India " की तरफ से पुरस्कृत भी किया गया था ! मेरा जबाब था-

"कुंडली में सप्तमेश गुरु तथा पंचमेश शुक्र का दृष्टि सम्बन्ध है , सप्तमेश गुरु पंचम भाव में बैठा है ! गुरु पति का भी कारक होता है !  ज्योतिष में पंचम भाव प्रेम का तथा सप्तम भाव पत्नी या पति का होता है , अतः ज्योतिष का यह सामान्य सूत्र है की अगर पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव में या सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव में हो तो प्रेम विवाह होता है ! यहाँ साथ ही प्रेमिका और पत्नी (यानि पंचमेश तथा सप्तमेश में दृष्टी सम्बन्ध है ) का भी दृष्टि सम्बन्ध  बन रहा है ! इसके अलावा भी देखिये, पंचमेश शुक्र मनोकामना पूर्ति  भाव एवं वृद्धि स्थान  ११ वे घर में बैठ कर अपने भाव को देख रहा है ! इन ग्रह योगों से तो स्पष्ट था की जातिका का प्रेम विवाह होना ही था ! जातिका के वैवाहिक जीवन के बारे में मैंने क्या बताया था अथवा मेरा विश्लेषण ये था
- कुंडली में सप्तम भाव में बैठा अलगाववादी ग्रह केतु और लग्न में बैठा क्रूर ग्रह राहू के कारण सप्तम भाव पूरी तरह बिगड़ा हुआ है , साथ ही चौथे घर में बैठ कर मंगल भी सप्तम भाव को देख रहा है तथा मांगलिक योग बना रहा है ! पति कारक सप्तमेश गुरु पर शत्रु शुक्र की दृष्टी है तथा सप्तम भाव को कोई भी शुभ ग्रह नहीं देख रहा है !"

इन गणनाओं के आधार पर मेरा मेरे द्वारा दिया गया जबाब था -

"जातिका ने निश्चय ही प्रेम विवाह किया है  परन्तु बाबजूद उसके उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं हो पा रहा है !"


बाद में जब पत्रिका ने जबाब प्रकाशित किया तो देखिये उनका जबाब- "

इस जातिका ने ४ वर्षों के प्रेम के उपरांत प्रेम विवाह किया है परन्तु विवाह के सात माह बाद ही दोनों अलग हो चुके है पर अभी तलाक नहीं हुआ है !"


एक अनजान महिला के बारे में सिर्फ उसकी कुंडली का आधार पर बता देना क्या किसी चमत्कार से कम है? वो लोग इसपे क्या कहेंगे जो ज्योतिष का मजाक बनाते हैं ! ज्योतिष के आलोचकों के साथ सबसे बड़ा तथ्य यही है की उन्हें इस विज्ञान का "क", "ख", "ग" तक पता नहीं है ! इस आलेख के पढने के बाद ज्योतिष का मजाक उड़ाने से पहले  एक बार सोच जरूर ले !
और हाँ जिन्हें भी ये  झूठ लग रहा हो वो इस पत्रिका का ये अंक देख सकते है ! ये  राष्ट्रीय पत्रिका है और हर रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध है !
                                                                                                             - "अभिजीत"
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7 comments:

  1. JAWAB NAHI BHAI AAPKA !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  2. waaaaooooooo..........hmmmmm bahut jyada talented ho aap.........grt!!!...rilly m shocked.....gud gud!!!

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  3. What is the use of astrology if it can't predict anything about something important to mankind rather than married life of someone.I am not interested about my future because I know that it depends upon my present actions and not on some kundli or janmpatrika .

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  4. so can u predict my life?....

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  5. at least mai to nai hun .....i believe "Jyotish Vigyan"a lot...
    aur tm to incredible ho hi....dis i hd known since i read ur vry first article....waise kaise sikha plz batana???

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  6. निश्चय ही विज्ञान है ज्योतिष विद्या । मगर ज्ञान वाले मिलें तभी ।

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